मार्टिन गार्डनर [Hindi PDFs: Part 1, 47.3 kB]
अंतरिक्ष यान वरुण पर कैप्टन आफताब विभिन्न प्रकार की रेखाकृतियां बनाने में व्यस्त थे। बीच में रुककर वे अपने केलकुलेटर पर कुछ गणनाएं करते।
आफताब का काम था नेपच्यून ग्रह के बारे में जानकारी प्राप्त करना। अंतरिक्ष यान वरुण पर मौजूद समस्त यात्रियों को यह देखकर अत्यन्त हैरानी हुई कि नेपच्यून ग्रह के आसपास अल्प घनत्व की धूल का विशाल छल्ला है। इस छल्ले की मोटाई केवल एक सेंटीमीटर है और यह पृथ्वी पर मौजूद दूरबीनों से बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता।
इस विशाल वलय का अंदरूनी और बाहरी हिस्सा एकदम वृत्ताकार है। अंतरिक्ष यान का पथ इस तरह था कि उसने छल्ले के बाहरी वृत्त को ॠ पर भेदा, अंदरूनी वृत्त को बिंदु ए पर स्पर्श किया और फिर से बाहरी वृत्त को भेदता हुआ क् से बाहर निकल गया।
“हमें मालूम है कि AC दूरी 2,00,000 कि.मी. है,” कैप्टन आफताब ने कहा, “अब सवाल यह है कि इस चकती का क्षेत्रफल कितना है?”
“क्या हमें बाहरी और भीतरी वृत्तों की त्रिज्या की ज़रूरत नहीं होगी?” लेफ्टिनेंट मेहताब ने पूछा।
“वो जानकारी तो हमें बाद में मिल ही जाएगी,” कैप्टन ने कहा, “परन्तु अभी के लिए हमें उसकी ज़रूरत नहीं है। अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान, ऐसा कोई प्रमेय पढ़ा था कि ऐसे वलय का क्षेत्रफल चाप AC से तय किया जा सकता है।”
“तुम्हारा कहना है कि AC की लम्बाई दी गई है, तो वृत्तों का आकार कुछ भी हो, चकती का क्षेत्रफल उतना ही रहेगा,” लेफ्टिनेंट ने पूछा।
“बिल्कुल सही! यकीन करना मुश्किल है परन्तु यह सही है। मैं याद करने की कोशिश कर रहा हूं कि इसकी गणना कैसे की जाती है,” आफताब ने जोड़ा।
नेपच्यून के इस वलय का क्षेत्रफल कैसे निकालेंगे और कितना होगा यह?