जोंक का नाम लेते ही मवेशियों और इंसानों से चिपक कर खून चूसने की न मालूम कितनी घटनाएं लोगों के मुंह से सुनी जा सकती हैं - और साथ ही लोग यह बताना भी नहीं भूलते कि किसी को बदन से चिपकी जोंक को निकालना आसान नहीं होता। बस नमक या फिर मिट्टी का तेल डालो तभी छोड़ती है पीछा।
कैसे खून चूसती है जोंक उसके बारे में बात करने से पहले आइए उसकी अनोकी चाल भी एक नज़र डाल ले। आपको शायद मालूम होगा कि जोंक के दोनों सिरों पर चूसक (Suckers) होते हैं। जोंक इन्हीं चूसकों को इस्तेमाल करके खून चूसती है, और चलती भी इनके सहारे है। आइए देखें कैसे . . .
- आगे बढ़ने के लिए जोंक अपने पीछे के चूसक को ज़मीन पर चिपकती हे।
- अब ये अपनी गोल-गोल मांसपेशियों के घेरे को कम करते हुए शरीर को आगे बढ़ाती है।
- अपने आगे के चूसक को ज़मीन से चिपका देती है।
- और पिछले चूसक को ज़मीन पर से ऊपर उठा लेती है।
- अब शरीर को सिकोड़कर पीछे वाले चूसक को आगे लाती है। . . . . . और हर बार यह पूरी प्रक्रिया दोहराते हुए आगे बढ़ती जाती है।
खून चूसना
जोंक चिपकने के लिए शरीर के उस हिस्से को चुनती है जहां की खाल पतली हो। जैसे पेट, पैर की पिंडली आदि। आगे के चूसक में मौजूद नुकीले, ब्लेड जैसे जबड़े से यह अंग्रेज़ी के वाय (ज्ञ्) अक्षर जैसा कट लगाती और चूसक के सहारे खून चूसने लगती है।
साथ ही यह एक विशेष तरह का पदार्थ (हिरुडिन) अपने शिकार के शरीर में छोड़ती है। इस पदार्थ की विशेषता यह है कि खून को जमने नहीं देता और इसलिए जोंक आसानी से खून चूसती रहती है।
एक बार भर-पेट खून खूस लेने के बाद जोंक को कई-कई दिनों तक दुबारा खून चूसने की ज़रूरत नहीं पड़ती।