सवाल : घोड़े सोते वक्त भी अपने पैरों पर नहीं बैठते और अपनी पूरी ज़िंदगी खड़े-खड़े बिताते हैं। ऐसा क्यों?
जवाब: हो सकता है जहां भी और दिन रात के अलग-अलग हिस्सों में जब भी हमने घोड़े को देखा, हमने घोड़े को खड़ा ही पाया और मन में स्वाभाविक सवाल उठा कि क्या ये हमेशा खड़ा ही रहता है?
वैसे यह धारणा पूरे तौर पर सही नहीं है। हां, यह ज़रूर है कि घोड़ा दिन और रात के अधिकतर हिस्से में खड़ा ही रहता है।
कब लेटेगा घोड़ा
दरअसल घोड़े के लेटने-बैठने का मामला घोड़े की नींद की अवस्थाओं से जुड़ा हुआ है।
घोड़ा केवल गहरी नींद की अवस्था में ही लेटता है। इस अवस्था को ‘रेम’ (Rapid Eye Movement) अवस्था भी कहते हैं। क्योंकि उस दौरान आंख की पुतलियां लगातार तेज़ी से इधर-उधर घूमती हुई नज़र आती हैं।
घोड़े में गहरी नींद की स्थिति एकसाथ बहुत कम समय के लिए ही आती है इसलिए कभी-कभार ही ऐसा होता है कि घोड़ा लगातार आधे घंटे तक लेटा रहा हो। वैसे भी कुल मिलाकर दिन भर में घोड़ा तीन-चार घंटे ही सोता है। वो भी एक बार में नहीं। आदत के मुताबिक वह नींद की झपकियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में भी ले सकता है। इसमें से भी ज़यादातर हिस्सा हल्की नींद का होता है। इसके अलावा जिस गहरी नींद की बात हम कर रहे है वह भी उसे एक-बार में नहीं आती बल्कि पूरे दिन भर में कुछ-कुछ मिनटों के गहरी नींद के झोंके आते हैं - जिनकी संख्या आठ, नौ के आसपास होती है। इसलिए घोड़ा ऐसी किसी गहरी नींद की अवस्था में ही चंद मिनटों के लिए लेटता है।
घोड़े की परिस्थिति का भी उसकी नींद की अवस्था पर बहुत असर होता है। जैसे तांगे से जुते हुए घोड़े को आप कभी-भी गहरी नींद में सोते हुए नहीं पाएंगे। गहरी नींद तो वो रात को तांगे से अलग हो जाने के बाद ही लेता है।
यहां पर यह जान लेना भी उचित होगा कि बहुत ही कम समय तक बैठना केवल वयस्क घोड़े में ही पाया जाता है। घोड़े के बच्चे तो घंटों बैठे-लेटे रह सकते हैं।
घोड़े की एक विशेषता की तरफ आपका भी ध्यान गया होगा कि खड़े-खड़े सो जाने पर भी वह गिरता नहीं है। इस विशेषता के लिए उसके पीछे के पैरों की रचना ज़िम्मेदार है।
घोड़े के पिछले पैरों की संरचना: जोड़ 1 और 2 के बीच बन रही चतुर्भुजाकार संरचना दरअसल एक तरह का लॉक सिस्टम है। इस चतुर्भुज के किसी भी एक कोने के रुकने की स्थिति में बाकी तीनों भी जाम हो जाते हैं। इसलिए घोड़ा चाहे तो खड़े-खड़े भी सो सकता है। यह लॉक सिस्टम उसे गिरने से बचाता है।
पिछले पैरों में लॉक
ज़रा इस संरचना के रेखाचित्र को ध्यान से देखिए - कूल्हे से निकल रही हड्डी जहां दूसरी हडु से मिल रही है (एक नंबर का जोड़) वहां हड्डी का एक टुकड़ा बाहर की ओर निकला दिख रहा है; जो नीचे की हड्डी से निकल रहे तंतु से बंधा-सा हुआ है। इसी तरह दूसरे नंबर के जोड़ में भी हड्डी का एक टुकड़ा बाहर की ओर निकला हुआ है जो कूल्हे से निकली हड्डी से निकल रहे तंतुओं से जुड़ा हुआ हैं। यहां इन दो हड्डियों के बीच जो रचना बन रही है वो चतुर्भुजाकार है। इसमें किसी भी एक कोने के स्थिर होने स्थिति में बाकी सारे कोने जाम हो जाते हैं, और बन जाता है एक मज़बूत लॉक सिस्टम जो खड़े-खड़े सोनी की स्थिति में घोड़े को गिरने से बचाता है।
यहां एक और स्वाभाविक प्रश्न उठ सकता है कि इतने लंबे समय तक लगातार खड़े रहने से घोड़ा थक नहीं जाता होगा क्या? दरअसल अपने पैरों को आराम पहुंचने का एक और तरीका है घोड़े के पास, इसे जानने के लिए उसे ज़रा गौर से देखना पड़ेगा। जब भी घोड़ा एक जगह पर खड़ा हो तो उसका कोई न कोई एक पैर थोड़ा-सा उठा हुआ दिखेगा। इस तरह वो एक-एक कर चारों पैरों को ऊपर उठा कर अपना वज़न बाकी के तीन पैरों पर डालता रहता है ताकि एक-एक कर पैरों को पूरा आराम दे सके।
क्यों लेटता है इतना कम
अब सवाल उठ सकता है कि घोड़ा इतना कम बैठता या लेटता क्यों है? एक जवाब तो उसकी शारीरिक संरचना में छुपा है। बैठने की स्थिति में उसका पूरा वज़न गरदन और पेट के बीच के हिस्से में केंद्रित हो जाता है - जहां कि श्वसन तंत्र स्थिति है। इस वज़न के कारण वहां दबाव बनता है और हवा का फेफड़ों तक पहुंचना मुश्किल होने लगता है। अगर यह स्थिति 15-20 मिनट से अधिक बनी रहे तो घोड़े के लिए जानलेवा हो सकती है।
परन्तु घोड़े के अधिकतर समय खड़े रहने का मुख्य कारण शायद उसके विकास (Evolution) से जुड़ा हुआ है। आज तो हमें दुनिया में कहीं भी घोड़ा अपने प्राकृतिक निवास में नहीं मिलेगा, क्योंकि केवल पालतू घोड़े की नस्लें ही बची हैं अब। परन्तु घोड़ा मुख्यत: एक मैदानी जानवर है। घास भरे मैदानी इलाकों में घोड़े के पैरों की इस विशेषता के कारण शायद उसे शिकारी के आक्रमण से बचने के लिए फुर्ती से भाग खड़े होने में मदद मिलती होगी।
तुलनात्मक अवलोकन
घोड़े का अवलोकन करते समय या अन्य लोगों से उसकी आदतों के बारे में जानकारी लेते हुए आपको एक और बात का ख्याल रखना होगा कि आपको घोड़े की आदतों के बारे में ही बताया जा रहा है - न कि उसी जैसे दिखने वाले खच्चर के बारे में! वैसे, एक समान दिखने वाले दो-तीन जानवरों की आदतों में तुलना करना भी रुचिकर हो सकता है। घोड़े, खच्चर और गधे की आदतों की तुलना हमें एक ऐसा ही अवसर देती है।
इस बार का सवाल
सवाल: सभी कहते हैं कि पृथ्वी घूमती है। हम पृथ्वी पर रहते हैं पर हमें कभी महसूस नहीं हुआ कि पृथ्वी घूमती है?
सोनी
हरिओम जनरल स्टोर्स, मीठी गली
पिपरिया, ज़िला होशंगाबाद