आपको याद होगा 2017 में आकाश में एक रहस्यमय वस्तु गुज़री थी। इसके आकार वगैरह को देखकर बताना मुश्किल था कि यह एक क्षुद्रग्रह है या धूमकेतु है (कुछ ने तो इसे एलियन्स द्वारा भेजा गया यान भी कहा था)। इस अत्यंत तेज़ रफ्तार पिंड को ओमुआमुआ नाम दिया गया था।
हाल ही में बर्कले स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के रसायनज्ञ जेनिफर बर्गनर और उनकी टीम ने विश्लेषण के आधार पर इसे धूमकेतु घोषित किया है। गौरतलब है कि ओमुआमुआ को सबसे पहले सूर्य के नज़दीक से 87 किलोमीटर प्रति सेकंड की अधिकतम गति से गुज़रते देखा गया था जो सौर मंडल में बनने वाली किसी वस्तु के लिए बहुत अधिक है। अवलोकनों के अनुसार यह 100 से 400 मीटर लंबा और सिगार के आकार का था। सौर मंडल से निकलने के बाद इसकी रफ्तार थोड़ी बढ़ गई थी। हालांकि अन्य धूमकेतुओं के समान ओमुआमुआ के पीछे कोई पूंछ नहीं दिखाई दी थी और न ही उसके आसपास धूल या गैस का कोई गोला था।
शोधकर्ताओं के अनुसार ओमुआमुआ के जीवन की शुरुआत किसी तारे से निकले जल-समृद्ध धूमकेतु के रूप में हुई। इसके बाद ब्रह्मांड में सुपरनोवा और अन्य ऊर्जावान घटनाओं द्वारा उत्सर्जित उच्च ऊर्जा किरणों ने इसकी लगभग 30 प्रतिशत बर्फ को हाइड्रोजन में परिवर्तित किया और यात्रा के दौरान यह ओमुआमुआ की बर्फ में फंसी रही। सूर्य के निकट पहुंचने पर बर्फ के पिघलने से फंसी हुई हाइड्रोजन निकलने से इसकी गति में वृद्धि हुई। चूंकि आणविक हाइड्रोजन सामान्य धूमकेतुओं से उत्सर्जित कार्बन मोनोऑक्साइड या कार्बन डाईऑक्साइड की तुलना में कम भारी होती है इसलिए वह अपने साथ अंतरिक्ष में उपस्थित धूल के कणों को इतना अधिक नहीं खींच पाई। इसी वजह से पूंछ नहीं बन पाई होगी।
पूर्व में शोधकर्ताओं का मानना था कि ओमुआमुआ धूल और गैस के ठंडे अंतरतारकीय बादल से बनने वाला एक क्षुद्रग्रह या जमी हुई हाइड्रोजन का टुकड़ा हो सकता है। बहरहाल हालिया विश्लेषण के बाद सभी सहमत हैं कि यह एक धूमकेतु ही था।
अब ओमुआमुआ नेप्च्यून की कक्षा से आगे निकल चुका है और सौर मंडल से बाहर भी निकल जाएगा। हम इसे फिर कभी नहीं देखेंगे। लेकिन संभावना है कि इस तरह के और पिंड भविष्य में हमारे सौर मंडल में प्रवेश करेंगे। इसलिए कॉमेट इंटरसेप्टर नामक एक युरोपीय मिशन तैयार किया जा रहा है जो इस तरह के पिंडों का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा से आगे की एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - May 2023
- रुद्राक्ष के चमत्कार: क्या कहता है विज्ञान?
- वनों की कटाई के दुष्प्रभाव
- एक इकोसिस्टम की बहाली के प्रयास
- बोरॉन ईंधन संलयन के आशाजनक परिणाम
- भारत की सूखती नदियां
- जलवायु परिवर्तन से आर्कटिक कलहंसों को मिला नया प्रजनन स्थल
- प्लास्टिकोसिस की जद में पक्षियों का जीवन
- किलर व्हेल पुत्रों की खातिर संतान पैदा करना टालती हैं
- व्हेल की त्वचा में उनकी यात्राओं का रिकॉर्ड
- दर्पण में कौन है?
- पारदर्शी मछली की इंद्रधनुषी छटा
- किसी अन्य सौर मंडल आया पहला मेहमान
- भ्रूण में जेनेटिक फेरबदल करने वाले वैज्ञानिक का वीज़ा रद्द
- पक्षी भी योजना बनाते हैं
- भौंरे भी नवाचारी होते हैं
- एक सुपरजीन में परिवर्तन के व्यापक असर होते हैं
- घुड़सवारी के प्रथम प्रमाण
- कृषि/पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का उपयोग
- महामारियों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संधि
- रोगाणुओं के अध्ययन की उच्च-सुरक्षा प्रयोगशालाओं में वृद्धि
- नई मच्छरदानी दोहरी सुरक्षा देगी
- हूबहू जुड़वां के फिंगरप्रिंट अलग-अलग क्यों?
- सामान्य स्वीटनर प्रतिरक्षा प्रणाली में टांग अड़ाता है
- जियोइंजीनियरिंग अनुसंधान में नई पहल
- कृत्रिम बुद्धि बता देगी कि आपने क्या देखा था
- कैंसर की कीमत
- इमोजी कैसे बनती और मंज़ूर होती है
- बंदरों के आयात पर रोक
- रसोई गैस का विकल्प तलाशने की आवश्यकता
- रेल पटरियों के बीच बनेगी बिजली
- पृथ्वी पर कौन शासन करता है?