संपन्न हुआ।
इसी तरह हमारे अध्यापक ने झूठ-मूठ की लोकसभा का भी गठन किया जिसमें कक्षा के विद्यार्थियों को सांसद बनाया गया और दो। पक्ष बनाए गए। एक पक्ष सरकार का जिसमें विद्यार्थियों को अलग-अलग मंत्री पद सौंपे गए व दूसरा था विपक्ष। एक लोकसभा अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया।
हमें एक विषय दिया गया जिस पर सभी सदस्यों ने बहस की। इस तरह से विभिन्न कार्यकलापों द्वारा सामाजिक अध्ययन की तैयारी हुई। रोज़ शाम को तीनों विषयों से संबंधित प्रश्नों पर सामूहिक चर्चा से हर विषय की अच्छी तैयारी हो रही थी। ये तरीका हम सभी विद्यार्थियों के लिए नया था मगर सभी को बहुत पसंद आया। सामाजिक अध्ययन जैसा बोर विषय अब रोचक व मनोरंजक लगने लगा था। साथ में सभी विद्यार्थियों की परीक्षा की अच्छी तैयारी हो गई थी, व परीक्षा से संबंधित परेशानियां दूर हो गई थी।
हमारे अध्यापक द्वारा अपनाई गई अध्यापन की शैली सचमुच अलग थी, जो छात्रों को अधिक भाती थी। अगर सभी विद्यालयों में अध्यापन की ऐसी ही शैली अपनाई। जाए तो विद्यार्थी सामाजिक अध्ययन जैसे विषय को भी उत्साह से पड़ेंगे। अध्यापन का प्रयोगात्मक तरीका शायद ज्यादा सार्थक व कारगर साबित होगा।
नीलम भोडे: नर्मदा महाविद्यालय, होशंगाबाद में बी. एस सी. (कम्प्यूटर्स) की पढ़ाई कर रही हैं।
ज़रा सिर खुजलाईए
इस बार का सवालः अंग्रेजी के अक्षर E की तरह दिखने वाले इस आकृति को एक कागज पर उतारकर किनारों से काट लीजिए। अब इसे 4 सीधे कट लगाकर 7 ऐसे टुकड़े करें कि उन सबको जोड़कर आप एक वर्ग बना सकें। आपने किस तरह के टुकड़े काटे? अपने जवाब हमें लिख भेजिए।
ज़रा सिर खुजलाइए
पिछले अंक में आपसे सवाल पूछा गया था कि दस-दस सिक्कों की दस बेरियां हैं। पहली हेरी में सभी सिक्के एक-एक ग्राम के हैं, दूसरी में दो-दो ग्राम के ....... इस तरह दसवीं देरी में सभी सिक्के दस-दस ग्राम के हैं। इनमें से एक देरी के सभी सिक्के नकली है और उन सब का वज़न जितना होना चाहिए उससे 0.1 ग्राम कम या ज्यादा है। आपके पास एक तराजू है जिसकी मदद से आपको कम-से-कम चार तौलते हुए नकली सिक्कों वाली देरी का पता लगाना था।
इस सवाल के लिए काफी जवाब मिले। कुछ लोगों ने पांच बार, कुछ ने तीन बार तौलकर नकली देरी का पता लगाया। लेकिन डॉ. प्रदीप दीक्षित, होशंगाबाद, ने तो एक बार तौलकर ही नकली देरी का पता लगा लिया। देखते हैं यह तरीका क्या है।
सबसे पहले सिक्कों की दसों ढेरियों को बढ़ते क्रम में एक से दस तक क्रम दे दिए। यानी एक ग्राम के सिक्कों की देरी को एक नंबर ......... तो दस ग्राम के सिक्कों की देरी को दस नंबर।अब पहली ढेरी से एक सिक्का, दूसरी से दो सिक्के, तीसरी से तीन सिक्के....... इस तरह बढ़ते हुए दसवीं ढेरी से दस सिक्के उठा लेते हैं।
ढेरी नंबर: | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 |
सिक्के के लिए | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 |
सिक्कों का वज़न(ग्राम में) | 1 | 4 | 9 | 16 | 25 | 36 | 49 | 64 | 81 | 100 |
निकाले गए कुल 55 सिक्कों का वज़न 385 ग्राम होना चाहिए।
अब इन 55 सिक्कों को तराजू में रखकर तौलते हैं। मान लीजिए इन सिक्कों का वजन 385 ग्राम से 0.1 ग्राम कम या ज्यादा आए तो पहली ढेरी के सिक्के नकली हैं, यदि बज़न में 0.2 ग्राम की घट-बढ़ होती है तो दूसरी हेरी के सिक्के नकली हैं. 0.3 ग्राम की घट-बढ़ होने पर ढेरी नंबर तीन के सिक्के नकली हैं ......... इस तरह यदि वजन में 1.0 ग्राम की घट-बढ़ हो तो दसवीं देरी में सिक्के नकली हैं।
है न आसान हल! लगभग ऐसा ही हल कैलाश अग्रवाल, शुजालपुर, ने भी भेजा लेकिन वजन संबंधी थोड़ी त्रुटि के साथ।