फर्श बनाने के लिए एक ऐसा पदार्थ तैयार किया गया है जो व्यक्तियों के हर कदम पर बिजली पैदा करता है। विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के ज़ुडॉन्ग वांग और उनके साथियों ने हाल ही में इस तरह के फर्श की घोषणा नैनो एनर्जी नामक शोध पत्रिका में की है। इस तरह के प्रयास पहले भी किए गए थे मगर उनमें बहुत महंगे पदार्थों का उपयोग हुआ था। वांग और उनके साथियों ने सामान्य सेल्यूलोज़ के आधार पर यह बिजली-जनक पदार्थ बनाने का दावा किया है।
वांग की टीम ने सबसे पहले तो लकड़ी की लुगदी से सेल्यूलोज़ के अति-सूक्ष्म (नैनो) रेशे प्राप्त किए। इनकी दो परतें बनाई गईं और एक परत को ऐसा रासायनिक उपचार दिया गया कि वह धनावेशित हो गई। इसके बाद इन दोनों परतों को कार्डबोर्ड के आवरण में बंद करके एक हार्डबोर्ड बना लिया गया।
जब इस तरह बने हार्डबोर्ड पर कदमों का दबाव पड़ता है तो उक्त दोनों सेल्यूलोज़ परतें संपर्क में आ जाती हैं। इनके संपर्क में आने पर इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होता है। फिर जब दबाव हटता है तो इलेक्ट्रॉन उल्टी दिशा में बहते हैं मगर यह प्रवाह एक बाहरी सर्किट के माध्यम से करवाया जाता है जिसमें इलेक्ट्रॉन के प्रवाह को बिजली के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
वांग की टीम का मत है कि इस तरह के फर्श उन जगहों पर काफी उपयोगी हो सकते हैं जहां पैदल आवाजाही काफी अधिक होती है, जैसे रेल्वे स्टेशन, शॉपिंग मॉल वगैरह। उनकी गणना के मुताबिक एक-एक कदम से कई एलईडी जलाए जा सकते हैं।
अलबत्ता, कई अन्य लोगों का कहना है कि यह तरीका बहुत कारगर नहीं होगा क्योंकि ये फर्श ज़्यादा टिकाऊ नहीं होते हैं और बिजली की पैदावार बहुत कम होती है। मसलन, नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञ एलिस्टेयर स्प्राउल का मत है कि फर्श से बिजली पैदा करना एक विचार के तौर पर उम्दा है मगर बड़े पैमाने पर तो सौर अथवा पवन बिजली ही उपयोगी होगी।
दूसरी ओर वांग का मत है कि फर्श की बिजली अपने आप में कोई समाधान नहीं है मगर यह पवन व सौर बिजली के पूरक के तौर पर काफी उपयोगी हो सकती है। खास तौर से भूमिगत स्टेशनों अथवा शॉपिंग सेंटरों में तो यह निश्चित तौर पर एक अच्छा विकल्प है। इस तरह के फर्श को बनवाने की लागत लकड़ी के फर्श के बराबर ही आती है मगर इसके लिए फर्श को विद्युत भंडारण इकाई वगैरह से जोड़ने की लागत अतिरिक्त होगी। (स्रोत फीचर्स)