जैव विकास को आधुनिक धरातल देने वाले मशहूर वैज्ञानिक जे.बी.एस. हाल्डेन ने आम लोगों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय करने के मकसद से कई पुस्तकें लिखीं। उनमें से एक है ऑन बीइंग दी राइट साइज़ (1926 )।
ऑन बीइंग दी राइट साइज़ (यानी हर जीव का एक सही आकार होता है) पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कई लेखों का संकलन है। हाल्डेन सरल गणितीय तर्क और भौतिकी के सिद्धांतों के आधार पर बताते हैं कि हर प्रकार के जानवर के लिए सुविधाजनक आकार होना ज़रूरी है जो उसे चलने-दौड़ने, बैठने-उठने आदि में सहायक हो।
लंबे पतले पैरों वाला सुंदर हिरन चिकारा बहुत तेज़ गति से दौड़ सकता है। हाल्डेन सवाल करते हैं कि यदि उसके पैरों की हड्डियों को काटकर छोटा और मोटा बना दिया जाए ताकि गैंडे की तरह उसके वज़न को स्थिरता मिल सके या उसके शरीर को सिकोड़कर, पैरों की लंबाई ज़िराफ जितनी कर दी जाए, तब भी क्या वह इतनी तेज़ गति से दौड़ पाएगा?
जीव वैज्ञानिक तथ्यों को समझने के लिए उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की बात की है - यदि चूहे या उसी आकार के किसी जंतु को आप बहुत ऊंचाई से नीचे गिरा देते हैं तो उसे ज़मीन पर गिरकर एक झटका-सा लगेगा और वह उठकर भाग लेगा। लेकिन यदि किसी व्यक्ति या बड़े जानवर को उतनी ही ऊंचाई से गिराएंगे तो क्या होगा? शायद हाथ-पैर टूट जाएंगे या मर ही जाएगा। हवा में किसी भी गिरती हुई वस्तु पर हवा एक बल लगाती है जो गुरुत्वाकर्षण का प्रतिरोध करता है। हवा का यह बल वस्तु की सतह के क्षेत्रफल के अनुपात में लगता है। दूसरी ओर वस्तु का वज़न उसके आयतन के अनुपात में बढ़ता है। जब वस्तु बड़ी होती है तो सतह का क्षेत्रफल तो वर्ग के अनुपात में बढ़ता है किंतु आयतन घन के अनुपात में। यानी जंतु बड़ा होगा तो वज़न ज़्यादा तेज़ी से बढ़ेगा बनिस्बत उसकी सतह के। इसलिए छोटे जानवरों को हवा का प्रतिरोध बल ज़्यादा सहायता करेगा। वे कम गति से गिरेंगे और चोट भी कम लगेगी।
लेकिन क्या मक्खी जैसे छोटे जीव के लिए गिलास से पानी पीना उतना ही आसान है जितना हमारे लिए? हमारे लिए गिलास से पानी पीना बहुत आसान है लेकिन किसी छोटे जीव के लिए उस गिलास से पानी पीना आत्महत्या करने सरीखा है क्योंकि छोटे जीवों की सतह का क्षेत्रफल उनके आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है। तो उनके शरीर पर इतना पानी चिपक जाएगा कि उनका जीना हराम कर देगा।
इस तरह के सवालों और तर्कों में बुना गया कथानक अत्यंत रोचक है और आप बंध-से जाते हैं।