टेक्सास-मेक्सिको की सरहद पर रहने वाली एक छिपकली के बारे में पता चला है कि ज़ोरदार ठंड का एक झटका उसमें स्थायी परिवर्तन कर सकता है। ठंड के असर से ग्रीन एनोल (Anolis carolinensis) नामक छिपकली की मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र में ऐसे परिवर्तन हो जाते हैं कि उनकी तापमान के प्रति प्रतिक्रिया ही बदल जाती है। यह त्वरित विकास का एक उम्दा उदाहरण माना जा रहा है।
हारवर्ड विश्वविद्यालय की स्नातक छात्र शेन कैम्पबेल-स्टेटन की रुचि ग्रीन एनोल छिपकली में थी क्योंकि ये भड़कीले रंगों वाली छिपकलियां हैं जो तापमान के बदलने पर अपना रंग हरे से कत्थई करने की क्षमता रखती हैं। इनके इस गुण के कारण कई बार इन्हें अमेरिकन गिरगिट के नाम से भी बेचा जाता है।
ये छिपकलियां वैसे तो क्यूबा की मूल निवासी हैं किंतु काफी समय पहले ये यूएस के दक्षिण पूर्वी हिस्से में फैल गई थीं। कैम्पबेल-स्टेटन यह समझना चाहती थीं कि आखिर जब यह छिपकली उत्तरी ठंडे स्थानों की ओर बढ़ी तो इसने ठंड से तालमेल कैसे बनाया।
बदलते तापमान के प्रति इनकी प्रतिक्रिया का अध्ययन करने के लिए कैम्पबेल-स्टेटन ने इन्हें एक ऐसे कक्ष में रखा जो क्रमिक रूप से ठंडा होता जाता था। जब तापमान बहुत कम हो गया, तो इन्हें उल्टा लिटाने पर वापिस सीधा होने की क्षमता जाती रही। यह परीक्षण इस बात की जांच करता है कि किस तापमान पर एनोल अपना समन्वय खो देती है।
प्रयोग में देखा गया कि सबसे दक्षिण के इलाके की एनोल 11 डिग्री सेल्सियस पर समन्वय गंवा देती है जबकि उत्तरी ठंडे इलाकों की छिपकली में 6 डिग्री सेल्सियस तक सही कामकाज चलता रहता है। इन दो इलाकों की छपकलियों में जेनेटिक अंतर भी देखे गए हैं।
तभी संयोगवश 2013-14 में असाधारण कड़ाके की सर्दी पड़ी। सर्दी का यह दौर टेक्सास में मात्र एक हफ्ते का था किंतु मेक्सिको की सरहद पर पूरे एक महीने चला। तो कैम्पबेल-स्टेटन की टीम बसंत के मौसम में एक बार फिर वहां पहुंची। जब उन्होंने शीत कक्ष का प्रयोग एक बार फिर दोहराया तो पता चला कि जो छपकलियां पहले 11 डिग्री पर गड़बड़ा जाती थीं, वहीं अब 6 डिग्री तक ठीक-ठाक काम करती रहीं। शोध पत्रिका साइन्स में उन्होंने बताया है कि तापमान की सहनशीलता का यह परिवर्तन उनके जेनेटिक पदार्थ डीएनए में भी नज़र आता है।
इस प्रयोग और अवलोकन से पता चलता है कि जेनेटिक परिवर्तन और विकास काफी छोटी अवधि में भी संभव है। ऐसे अवलोकनों से यह भी समझने में मदद मिल सकती है कि क्या जैव विकास एक धीमी क्रमिक प्रक्रिया ही है या यह हिचकोलों-झटकों में भी होता है। (स्रोत फीचर्स)