ब्रााज़ील में एक बांध के निर्माण ने वहां रहने वाली एक छिपकली के आकार को बड़ा कर दिया है। बांध बनने के बाद मात्र पंद्रह वर्षों में Gymnodactylus amarali के सिर का आकार बड़ा हो गया। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह त्वरित जैव विकास का एक जीता-जागता उदाहरण है।
1996 से मध्य ब्रााज़ील में बने इस बांध ने सेराडो क्षेत्र की कई घाटियों को डुबोया है। यह इलाका घास के मैदानों का इलाका रहा है। बीच-बीच में टीले हैं। बांध का पानी भरने पर ये टीले छोटे-छोटे टापू बन गए हैं। अधिकांश टापुओं से बड़ी-बड़ी छिपकली प्रजातियां तो गायब हो गई क्योंकि वहां उनके लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं रहा। किंतु एक छोटी छिपकली Gymnodactylus amarali कम से कम एक टापू पर आज भी मौजूद है। यह छिपकली दीमकें खाती है। जब बड़ी छिपकलियां नदारद हो गर्इं तो इसके लिए अवसर बना कि यह बड़ी वाली दीमकों को भी चट कर सके। किंतु इसका सिर बड़ी दीमक को खाने के हिसाब से छोटा था।
ब्राासिलिया विश्वविद्यालय की शोधकर्ता मरियाना एलॉय डी एमोरियम यह देखना चाहती थीं कि क्या इस अवसर ने इन छोटी छिपकलियों में अनुकूलन पैदा किया है। इसके लिए एमोरियम और उनके साथियों ने 2011 में उस टापू से कुछ छिपकलियां प्राप्त कीं और उनकी तुलना जलाशय के किनारे पर रहने वाली छिपकलियों से की।
तुलना के लिए पहले तो ऊपर से ही नाप-जोख किया गया किंतु बाद में उनके पेट को काटकर देखा गया कि वे क्या-क्या खाती रही हैं। प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज़ में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि टापू पर पाई गई छिपकलियों का सिर किनारों पर पाई गई छिपकलियों से औसतन 4 प्रतिशत बड़ा था। वैसे यह छोटा-सा परिवर्तन लगता है किंतु बड़ा मुंह होने से ये छिपकलियां बड़ी दीमकों को भी खा सकती हैं। और वाकई उनके पेट में जो दीमकें मिलीं वे भी अपेक्षाकृत बड़ी थीं।
अब इतनी जानकारी के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि यह स्थायी जैव विकास का एक उदाहरण है या यह मात्र शारीरिक लचीलेपन का परिणाम है जो घटता-बढ़ता रहता है। इस बात का फैसला तो तभी होगा जब इन छिपकलियों का जेनेटिक विश्लेषण भी किया जाएगा। (स्रोत फीचर्स)