नवनीत कुमार गुप्ता
गणित के क्षेत्र में नोबेल के समतुल्य प्रतिष्ठित फील्ड्स मेडल से सम्मानित पहली महिला गणितज्ञ मरियम मिर्ज़ाखानी का निधन 15 जुलाई 2017 को 40 वर्ष की उम्र में हो गया। अंतर्राष्ट्रीय गणित संघ द्वारा सन 1936 से प्रत्येक चार साल में एक बार गणित के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए किसी व्यक्ति को फील्ड्स मेडल से सम्मानित किया जाता है।
मरियम मिर्ज़ाखानी स्तन कैंसर से ग्रस्त थीं। सन 2008 से मरियम स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं।
नासा के पूर्व वैज्ञानिक फिरोज़ नासरी ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘बहुत जल्दी एक प्रतिभा हमसे बिछुड़ गई। एक जीनियस हमसे दूर हो गई। प्रख्यात गणितज्ञ होने के साथ ही मरियम एक कुशल गृहिणी, पत्नी और मां भी थी।’
जीवन की शुरुआत में मरियम एक लेखक बनना चाहती थीं लेकिन गणित के प्रति उनमें जुनून-सा था जिसके चलते वे विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ बनीं। मरियम के शब्दों में कहें तो गणित उनके लिए एक पहेली को सुलझाने जैसा है।
मरियम का जन्म ईरान के तेहरान में हुआ था। आरंभिक शिक्षा ईरान से करने केबाद मरियम गणित के क्षेत्र में उच्च अध्ययन के लिए अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय चली गर्इं। वैसे 1990 के दशक में अंतर्राष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने के कारण उन्हें ख्याति मिल चुकी थी। यह सम्मान पाने वाली वह ईरान की पहली महिला थी। इसके अलावा नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के लिए चुनी गई पहली ईरानी महिला थीं। इस संस्था के पूर्व सदस्यों में अल्बर्ट आइंस्टाइन, थॉमस एडिसन और अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल जैसे विख्यात वैज्ञानिक शामिल हैं।
सैद्धांतिक गणित में मरियम की विशेष दक्षता थी। उन्होंने बीजगणितीय, हाइपरबॉलिक ज्यामिति, एर्गोडिक थ्योरी और सिम्प्लेक्टिक ज्यामिति आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया। उनके कार्यों ने इस भ्रांति को भी तोड़ा है कि गणित जैसे क्षेत्र में महिलाएं विशेष योगदान नहीं दे सकतीं। मरियम मिर्ज़ाखानी का जीवन ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो गणित से प्रेम करते हैं। (स्रोत फीचर्स)