कम कैलोरी वाला भोजन मिले, तो कृमियों की याददाश्त में सुधार आता है। वैसे तो कैलोरी में कटौती करने के फायदे पहले भी उजागर हो चुके हैं। जैसे भोजन में कैलोरी कम हो तो मक्खियों, चूहों और बंदरों की आयु में वृद्धि होती है। अब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के कावेह अशरफी ने प्रयोगों के आधार पर बताया है कि कम कैलोरी का सेवन करने पर एक गोल कृमि (Caenorhabditis elegans) की याददाश्त में इज़ाफा होता है। अशरफी के निष्कर्षों से भी अधिक दिलचस्प उनका प्रयोग है।
अशरफी की टीम ने Caenorhabditis elegans नामक एक गोल कृमि को प्रशिक्षित किया कि वह ब्यूटानोन नामक एक रसायन की गंध का सम्बंध भोजन के पारितोषिक से जोड़ ले। Caenorhabditis elegans कृमि जीव वैज्ञानिक प्रयोगों का एक महत्वपूर्ण मॉडल जंतु है। जब ये कृमि ब्यूटानोन और भोजन का सम्बंध सीख गए तो इन्हें एक वृत्त के केंद्र में रखा गया। वृत्त के एक ओर ब्यूटानोन की गंध थी जबकि दूसरी ओर अल्कोहल की गंध थी। केंद्र में रखेजाने पर कृमियों में से जो ब्यूटानोन की ओर जाते थे, उनके बारे में माना जाता था कि वे सबक सीख गए हैं।
अब कृमियों को तीन समूहों में बांटा गया। एक समूह को मनमर्ज़ी से खाने दिया गया, दूसरे समूह को कम कैलोरी खाने को मिली और तीसरे समूह को उपवास करवाया गया। तीनों समूहों को ब्यूटानोन की गंध के लाभ के बारे में भी सिखाया गया। अब एक-एक करके तीनों समूह के कृमियों को उस वृत्त के केंद्र में रखा गया।
जिन कृमियों को कम कैलोरी वाली खुराक पर रखा गया था उनमें से ज़्यादा प्रतिशत (लगभग दुगने) कृमि ब्यूटानोन वाले छोर की ओर गए, बनिस्बत भरपेट खाने वाले कृमियों के। उपवास करने वाले कृमि भी ब्यूटानोन वाले छोर पर ज़्यादा अनुपात में गए। इससे पता चलता है कि उपवास करने या कम कैलोरी मिलने पर कृमि कोई सबक ज़्यादा जल्दी सीखते हैं।
प्लॉस बायोलॉजी में प्रकाशित इस शोध पत्र का निष्कर्ष है कि कम कैलोरी के सेवन से मस्तिष्क में एक रसायन कायनुरेनिक एसिड की कमी हो जाती है। इस कमी की वजह से वे तंत्रिकाएं सक्रिय हो जाती हैं जो सीखने में भूमिका निभाती हैं। इस बात की जांच करने के लिए अशरफी की टीम ने कृमियों के मस्तिष्क में कायनुरेनिक एसिड की कमी पैदा करके देखा। कायनुरेनिक एसिड की कमी करने पर भी सीखने की प्रक्रिया में वैसा ही सुधार देखा गया जैसा कम कैलोरी के असर से हुआ था।
कैलोरी सेवन के इसी तरह के असर मनुष्यों में देखे गए हैं। जैसे 2008 में किए गए एक अध्ययन में पता चला था कि 60 के आसपास के जो लोग अपना कैलोरी सेवन 30 प्रतिशत कम कर देते हैं, उनकी शब्दों की फेहरिस्त याद रखने की क्षमता बेहतर होती है। किंतु यह भी ध्यान देने की बात है कि भूख संज्ञान क्षमता को कमज़ोर भी करती है क्योंकि भूखे पेट हम पूरी तरह भोजन के ख्यालों में डूबे रहते हैं। तो संज्ञान क्षमता बढ़ाने के लिए उपवास करने से पहले सोच लीजिएगा। (स्रोत फीचर्स)