वैसे तो स्वास्थ्य विशेषज्ञ बरसों से यह चेतावनी देते आ रहे हैं कि कई सारे जानलेवा बैक्टीरिया में दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोध पैदा होता जा रहा है और यह काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। इसके चलते कई एंटीबायोटिक्स नाकाम हो रहे हैं।
हाल ही में अमेरिकन सूक्ष्मजीव विज्ञान समिति की पत्रिका एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स एंड कीमोथेरेपी में एक शोध पत्र में बताया गया है यूएस में एशरीशिया कोली (ई.कोली) नामक बैक्टीरिया की प्रतिरोधी किस्म पाई गई है। यह बैक्टीरिया कोलिस्टिन नामक औषधि से भी नहीं मरता। कोलिस्टिन अत्यंत प्रभावी दवा है और यह माना जा रहा है कि बैक्टीरिया के ज़िद्दी हमलों से निपटने का यह अंतिम औज़ार है।
इससे पहले साइन्स में रिपोर्ट हुआ था कि वैज्ञानिकों ने पाया है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध से बचने का जो परंपरागत उपाय है वह भी नाकारा साबित हो रहा है। यह उपाय रहा है एंटीबायोटिक की भारी मात्रा का उपयोग। दूसरी ओर कई विशेषज्ञ पुरानी दवाइयों में फेरबदल करके नए संस्करण बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं। मगर अभी तक इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
सूक्ष्मजीव वैज्ञानिकों का यह भी मत रहा है कि हमें बैक्टीरिया पर हमले के ऐसे रास्ते खोजने होंगे जिनके बारे में बैक्टीरिया तैयार नहीं है। यानी जैव विकास के लंबे दौर में उसने ऐसे हमलों का सामना नहीं किया है। मगर बाज़ार की स्थिति को देखते हुए ऐसे नए एंटीबायोटिक रास्ते खोजना बहुत महंगा काम है और कंपनियां इसमें रुचि नहीं लेती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि कंपनियों को कुछ प्रलोभन दिए जाने चाहिए।
यह सही है कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर गंभीरता से ध्यान न दिया गया तो जल्दी ही हम एक ऐसे युग में कदम रखेंगे जहां छोटी-मोटी बीमारियां भी जानलेवा साबित होंगी और सर्जरी वगैरह बहुत मुश्किल हो जाएगी। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - August 2016
- चार नए तत्वों का नामकरण संस्कार शुरू
- एक चूहा जलवायु परिवर्तन की बलि चढ़ा
- पूरा मानव जीनोम बनाने का प्रस्ताव
- पोलियो वायरस मिला, फिर से टीकाकरण
- नई प्रजाति से कीट वर्गीकरण का नया आधार
- बहुसंख्य-अल्पसंख्यक धारणा के सामाजिक परिणाम
- हिमालय के किसानों की उपेक्षा न हो
- जिराफ और गाय सम्बंधी हैं
- प्रोटीन का स्रोत - दालें
- दक्षिण एशिया की नई चुनौतियां
- लुप्त हो रही हैं छिपकलियां
- बारिश है तो धरती की खुशहाली कायम है
- ऊर्जा में परमाणु ऊर्जा का गिरता हिस्सा
- गर्भस्थ बच्चा मां की आवाज़ को पहचानता है
- इलेक्ट्रॉनिक कचरे का डंपिंग ग्राउंड हमारा देश
- अमरीका में प्रतिरोधी महाजीवाणु मिला
- प्रयोगों के परिणाम न दोहरा पाने की त्रासदी
- क्या सेलफोन से कैंसर होता है?
- अफीम युद्ध के निशान मूंगा चट्टानों में
- पक्षियों की घटती उम्र और शहरी परिवेश
- दुनिया के भोजन में बढ़ती एकरूपता
- पतंगों का रंग और जैव विकास
- प्रकाश का अंधेरा पक्ष
- पॉलीथीन से डीज़ल बनाया गया
- नए उपचारों की लागत के सामाजिक सवाल
- सबसे बुज़ुर्ग महिला के रक्त में जीवन-मृत्यु का राज़
- पानी से ज़मीन पर मछलियों की छलांग